विश्व का है सबसे बड़ा क्रिकेट बोर्ड BCCI मगर फिर भी क्यों कर रहा कंजूसी, छलका खिलाडियों का दर्द

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भारत की क्रिकेट बोर्ड यानी कि BCCI दुनिया के सबसे अमीर बोर्ड की श्रंखला में शामिल है लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि रणजी ट्रॉफी मैच के दौरान बीसीसीआई के पास डी आर एस के उपयोग के लिए पैसा नहीं है। डीआरएस का मतलब होता है डिसीजन रिव्यू सिस्टम, वहीं अभी रणजी ट्रॉफी में मुंबई का सामना मध्य प्रदेश की टीम से हो रहा है l

मुंबई की तरफ से खेलते हुए रणजी ट्रॉफी में सरफराज खान ने रनों की बरसात कर दी l बल्लेबाजी करते हुए मध्यप्रदेश के गौरव यादव ने उन्हें अपने जाल में फंसा तो लिया था लेकिन अंपायर ने उसे नॉट आउट करार दिया l वहीं अगर हमारी टीम के पास डीआरएस की सुविधा होती तो शायद मैच का रुख कुछ और ही होता और नतीजा भी शायद अभी के नतीजे से अलग होता।

डीआरएस मशीन का उपयोग 2 साल पहले किया गया था जब भारतीय टेस्ट टीम के स्टार बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा 2018-19 में सौराष्ट्र की तरफ से खेलते हुए सेमीफाइनल में 2 बार आउट होने से बच गए । जिसकी वजह से कर्नाटक टीम को हार का सामना करना पड़ा। इसमें से सीख लेते हुए बीसीसीआई ने रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल मुकाबले में डीआरएस मशीन का उपयोग किया।

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अगर हम डीआरएस मशीन के बारे में बात करें तो टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बीसीसीआई के अधिकारी ने बताया कि या तकनीकी काफी ज्यादा महंगी है पर ऐसा नहीं है कि हमारे पास इस मशीन की उपस्थिति नहीं है तो हम उसके बदले में भारत को 2 सर्वश्रेष्ठ अंपायर की मौजूदगी रखते हैं।

वहां वही अगर हम आर्थिक स्थिति की बात करें तो बीसीसीआई ने आईपीएल के मीडिया राइट्स को बेचकर 48930 रुपए कमाए। फिर भी रणजी ट्रॉफी मैच के लिए डीआरएस का इस्तेमाल नहीं किया। । माना यह मशीन काफी ज्यादा महंगी है परंतु इसके इस्तेमाल से कई बार भारतीय क्रिकेट मैच का रुख भी बदला जा सकता है। डीआरएस तकनीकी महंगी है इसके इस्तेमाल में ज्यादा पैसा खर्च होता है और रणजी ट्रॉफी कम संसाधनों में खेली जाती है। इस सबो के बावजूद बीसीसीआई की गिनती क्रिकेट के सबसे धनी बोडस में है

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