ब्रेट ली कहते हैं कि मुझे अभी यही आशा है कि वीरेंद्र सहवाग जैसे बल्लेबाज और भी देखने को मिलेंगे। ऑस्ट्रेलिया टीम के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ली ने दिया बड़ा बयान। बयान में इन्होंने वीरेंद्र सहवाग की तारीफ करते हुए कहते हैं कि उनके सामने गेंदबाजी करने में बहुत से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आगे कहते हैं कि उन्होंने सचिन तेंदुलकर के सामने गेंद को रखने में सबसे अधिक कठिनाई होती है लेकिन वास्तव में सहवाग भी सचिन तेंदुलकर से कम नहीं थे।
ब्रेट ली अपने समय के एक शानदार गेंदबाज के रूप में जाने जाते थे। इनके गेंद की गति बहुत तेजा होती थी। जिनके आगे बल्लेबाज भी चकमा खा बैठते थे। इनके गेंद में हमेशा गति के साथ-साथ स्विंग भी नजर आते थे। इन्होंने अपने करियर में ब्रायन लारा, सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग के सामने गेंदबाजी की है। इन बल्लेबाजों और ली के विरुद्ध मैच को देखने के लिए फैंस काफी बेसब्री से इंतजार करते थे। इन दोनों के बीच मुकाबला काफी रोमांचक साबित होता था।
ली अपनी बातों को रखते हुए आगे कहते हैं कि, वीरेंद्र सहवाग जिस तरह से टेस्ट सीरीज में अपने आक्रामक रूप में खेलते हैं। वह बहुत हैरानजनक करने वाली परिस्थिति होती थी। इन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर कहते हैं कि जिसमें दोनों का बल्लेबाजी बिल्कुल एक जैसा था। जिसमें ली ने कहा कि सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में जिस तरह से अपने आक्रामक अंदाज से बल्लेबाजी की उससे उन्हें सबसे ज्यादा हैरानी हुई।
अपने यूट्यूब चैनल पर ब्रेट ली ने कहा कि, एक ऐसा व्यक्ति जो दिखने में बिल्कुल सचिन की तरह बल्लेबाजी करता था और मुझे लगा कि एक और खिलाड़ी से अब हमको जूझना पड़ेगा क्योंकि पहले हम सचिन से जूझ ही रहे थे और अब हमारे सामने उनके जैसा एक और खिलाड़ी है। हम सहवाग के लिए भी योजना बनाते थे, जिसमें टेस्ट क्रिकेट की पहली गेंद से हमें थर्ड मैन पर भी एक खिलाड़ी को लगाना पड़ता था। ताकि वह वहां पर शॉट खेलने का प्रया करे। हमने ऐसा ही वनडे क्रिकेट में भी प्रयास किया लेकिन वहां पर उन्होंने गेंद को पूरी तरह से मैदान से बाहर ही मार दिया था।
सहवाग के सामने गेंदबाजी करना बहुत ही मुश्किल होता था – ब्रेड ली
इस बयान में आगे कहते हैं कि इनके सामने गेंदबाजी करना बहुत ही मुश्किल काम होता था। क्योंकि इनकी बल्लेबाजी इतनी आक्रामक साबित होती थी। जिन्हें देखकर गेंदबाज भयभीत हो जाते थे। वीरेंद्र सहवाग अपने समय के खूंखार बल्लेबाज थे। जब वह बल्लेबाजी करते थे तो गेंदबाज यही सोचते थे कि किस लेंथ पर गेंद डाले की, इनसे छुटकारा पा सके।