आज इस लेख में हम हमारे चहेते खिलाड़ी सरिया सहयोग के बारे में बात करने जा रहे हैं जहां पर पहले आपको बता दें कि उनका पूरा नाम श्री असंतोष तैयार है जहां वह एक टॉप बॉर्डर बैट्समैन है जहां वाह क्लासिकल शॉट बहुत ही माहिर तरीके से खेल लेते हैं.
आपको बता दें वह भारतीय टीम के T20 इंटरनेशनल और ओडीआई मैच में राइट हैंडेड बैट्समैन और राइट आर्म ऑफ ब्रेक बॉलर है. आपको बता दें इसलिए सही है बचपन से ही खेलकूद में है बहुत ही ज्यादा आगे थे जहां वह मल्टी टैलेंटेड खिलाड़ी के रूप में देखे जाते हैं जहां उनको क्रिकेट के अलावा बैडमिंटन और फुटबॉल में भी महारत हासिल है जहां उनके टीममेटs उनको वीरेंद्र सहवाग जैसा मानते हैं.
आइए अब उनके निजी जीवन के बारे में जानते हैं जहां श्रेयस अय्यर का जन्म 6 दिसंबर 1994 में मुंबई में हुआ और आपको बता दे इनके पिता का नाम संतोष अय्यर है जिन्होंने इनको क्रिकेट में डालने के लिए एक बहुत ही बड़ा सहयोग प्रदान किया है जहां वह बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और एक बिजनेसमैन होते हुए भी संतोष ने अपने काम से बड़े शेड्यूल में
अपने बेटे के लिए श्रेयस अय्यर के लिए टाइम निकाला. दरअसल देखा जाए तो इनके पिता का ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान रहा है कि आज श्रेयस अय्यर इस जगह पहुंच चुके हैं. जहां संतोष अय्यर सभी कोच के साथ अपना संपर्क बनाए रखते हैं.
श्रेयस अय्यर की मां का नाम रोहिणी अय्यर है जिन्होंने श्रेयस अय्यर को क्रिकेट खेलने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया है और श्रेयस की बहन श्रेष्ठा अय्यर सायकोलॉजी में अपना करियर बना रही हैं.
खिलाड़ी केवल 4 वर्ष के थे जब उनके पिता उनको बॉलिंग करवाते थे और तभी संतोष को श्रेयस अय्यर का बल्लेबाजी देख उनमें एक बहुत ही बड़ा खिलाड़ी दिखा उसके बाद उनको एहसास हुआ कि उनमें क्रिकेट की असीम प्रतिभा छुपी हुई है. बहुत ही कम उम्र से खिलाड़ी श्रेयस अय्यर बैटिंग में बहुत अच्छे थे जहां उन्होंने इंडियन जिमखाना में खेलते हुए 46 बॉल में शतक हासिल कर लिया जिस तरह खेलते हुए उन्होंने जल्द ही घरेलू खेलों में अपनी पहचान बना ली.
खिलाड़ी गली क्रिकेट भी खेलने गए लेकिन वह टीनएज के बच्चों के सामने बहुत छोटे थे जिसके कारण होने बॉलिंग से ज्यादा कोई मौका नहीं मिला. श्रेयस अय्यर बहुत ही आश्चर्य में थे कि वह फुटबॉल खेलना चाहते हैं या क्रिकेट इस दौरान उनके पिता ने उनकी मदद की और जब श्रेयस अय्यर 11 वर्ष के थे तब संतोष ने उन्हें शिवाजी पार्क जिमखाना लेकर गए लेकिन वहां उन लोगों ने यह कहा कि श्रियस बहुत छोटे हैं इसलिए उन्हें अगले साल आना चाहिए. जिसके कारण श्री असहयोग को थोड़े समय तक इंतजार करना पड़ा इस दौरान प्रवीण अमरे ने उन्हें गाइड किया.