एक DRS लेने में कप्तान उड़ाते है इतने हजार डॉलर, एक परिवार के पुरे 5 साल चल सकता है खर्च

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डिसीज़न रिव्यू सिस्टम (Decision Review System) नाम से लगभग हर क्रिकेट प्रेमी परिचित हो चुका है यह हर किसी को अच्छी तरह से पता भी चल गया होगा कि DRS आखिर क्या होता है और क्रिकेट खेल के दौरान इसे कब प्रयोग मे लाया जाता है. वैसे आपको हम बता दें कि DRS का फुल फॉर्म है डिसीज़न रिव्यू सिस्टम (Decision Review System). इसका प्रयोग क्रिकेट मे तब किया जाता है जब क्रिकेट खेल के के बीच अंपायर की तरफ से किसी बेट्समेन खिलाड़ी को आउट करार दिया जाता है या तब मैदान मे फील्डिंग कर रही टीम के कैप्टन को लगता है कि खिलाड़ी आउट है लेकिन अंपायर ने इसे डाउट के कारण आउट कर दिया है . इस केस मे फील्ड अंपायर के संदेह को दूर करने के लिए DRS का उपयोग किया जाता है.

DRS एक बहुत ही महँगी टेकनीक है

क्रिकेट के गेम मे DRS एक बहुत ज्यादा महंगी तकनीक है. केवल एक मैच मे इस तकनीक मे खर्च जोड़ा जाये तो करीब 2 कैमरा सेटअप के लिए 6 हजार डॉलर और वहीं अन्य चार के लिए 10 हजार डॉलर तक का खर्च गिरता है. एक जानकारी के मुताबिक जो डाटा हम आपको बता रहे हैं. एक मैच मे कुल मिलाकर लगभग 16 हजार डॉलर खर्च होता है. इस लिए डीआरएस बहुत महंगी तकनीक माना है. इसीलिए डीआरएस की सहूलियत सभी मैचों में आप नहीं देख पाते है

DRS का प्रयोग कब करते है

DRS अपनी इच्छा से बल्लेबाज़ तब लेता है जब उसे गलत तरीके आउट करार दिया गया हो लेकिन अगर बल्लेबाज़ को पूरा यकीन है कि वो आउट नहीं हुआ है. ऐसी परिस्थिति में बल्लेबाज़ अंपायर से रिव्यू की डिमांड करता है. इसका मतलब जिसगेंद पर उसको आउट दिया जा रहा है उसको डीआरएस के प्रयोग से दोबारा चेक किया जाए. वहीं अगर बॉलिंग करने वाली टीम DRS का प्रयोग तब करती है जब गेंदबाज या फील्डिंग टीम के कप्तान को पूरे तरीके से ऐसा लगे कि बल्लेबाज आउट है लेकिन फील्ड अंपायर ने उसे आउट करार नहीं दिया.

 

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