वर्ल्ड क्रिकेट को और भी ज्यादा से ज्यादा रोमांचक बनाने के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई ने घरेलू क्रिकेट के मैचो में सब्स्टीट्यूट प्लेयर उतारने के नियम को लागू करने का निर्णय लिया है। इस तरीके का नियम अन्य खेलो मे जैसे फुटबॉल, हॉकी व कई अन्य खेलों में सब्स्टीट्यूट प्लेयर नियम पहले से मौजूद है । अब इसी नियम को कुछ अलग तरीके में भारतीय क्रिकेट में भी लागू होने पर विचार विमर्श किया जा रहा है। बीसीसीआई के इस निर्णय के अनुसार अगले महीने शुरू हो रहे घरेलू टी-20 टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली ट्रोफी में एक सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी के तौर पर उतार सकती हैं। इस नए नियम को क्रिकेट की भाषा मे’इम्पैक्ट प्लेयर’ नाम दिया गया है।
इम्पैक्ट प्लेयर नियम का फायदा
इस नियम से किसी भी टीम को एक फायदा जरूर रहेगा. यदि ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ के तौर पर किसी बॉलर को शामिल किया जाता है, तो वह अपने पूरे 4 ओवर गेंदबाजी ही करेगा. बाहर किए गए बॉलर ने कितने ओवर किए या नहीं किए, इसका उस का ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ पर असर नहीं पड़ेगा.
आइये एक नजर डालते हैं ये नियम क्या है और कैसे काम करेगा?
मैच के दौरान टॉस के वक्त जब कप्तान एक-दूसरे को प्लेइंग-11 की जानकारी देते हैं, तब उन्हें 4 एक्स्ट्रा प्लेयर की जानकारी देनी होगी. यानी अपने पूरे15 खिलाड़ियों के बारे में पहले ही बताना होगा
.यदि इन चार में से कोई भी एक खिलाड़ी मैच के दौरान किसी एक प्लेयर को बदल सकता है. ये प्लेयर ही टीम का इम्पैक्ट प्लेयर कहलाया जाएगा. पारी के 14वें ओवर तक इम्पैक्ट प्लेयर को मैदान में लाया जा सकता है. यानी किसी प्लेयर को रिप्लेस किया जाएगा.
मैच के दौरान ही यदि अगर एक प्लेयर को बाहर भेजा गया है और उसकी जगह इम्पैक्ट प्लेयर लाया गया है. तब पहले वाला प्लेयर पूरे मैच में हिस्सा नहीं ले पाएगा, यानी उसके लिए मैच वहीं खत्म हो गया.
किसी इम्पैक्ट प्लेयर को किसी ओवर के बीच, विकेट गिरने के ब्रेक या फिर किसी प्लेयर के चोटिल होने पर इम्पैक्ट प्लेयर को लाया जा सकता है..
अगर मैच देरी से शुरू हुआ या किसी कारण 10 ओवर का ही मैच हो पाया, तो वहां पर इम्पैक्ट प्लेयर का नियम लागू नहीं होगा.
अगर कोई टीम पहले इम्पैक्ट प्लेयर का इस्तेमाल करती है लेकिन बीच में मैच के ओवर घटा दिए जाते हैं, तब दूसरी टीम को भी इम्पैक्ट प्लेयर लाने का मौका मिलेगा.