आपको बता दें कि एशिया कप साल 2023 टूर्नामेंट 31 अगस्त से लेकर 17 सितंबर तक खेला जाएगा। वहीं इसी बीच पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड यानी कि पीसीबी के अध्यक्ष जका अशरफ ने एशियाई क्रिकेट परिषद के औपचारिक फैसले के बावजूद एशिया कप साल 2023 के हाइब्रिड मॉडल को खारिज करने के 24 घंटे में ही यू-टर्न लेते हुए 4 मैचों की मेजबानी स्वीकार कर ली है। यानी कि आपको बता दें कि पाकिस्तान अब एशिया कप के चार मुकाबले मेजबानी में खेलने वाले हैं।
भारत के पावर के सामने पाकिस्तान का फुस्स हुआ हवा
आपको बता दें कि हाइब्रिड मॉडल के तहत एशिया कप साल 2023 की मेजबानी पाकिस्तान और श्रीलंका करेंगे यानी कि भारत को अपने सभी मुकाबले श्रीलंका में खेलने पड़ेंगे और जिसमें पाकिस्तान टीम के खिलाफ दो मैच में खेलने पड़ेंगे यह मॉडल अशरफ के पूर्ववर्ती नजम सेठी ने पेश किया था। आपको बता दें कि 27 जून के दिन पाकिस्तान क्रिकेट टीम की कमान संभालने जा रहे हैं अशरफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे खारिज करते हुए बताया था।
एशिया कप को लेकर हुआ बड़ा फैसला
आपको बता दें कि अशरफ को बिल्कुल भी नहीं पता था कि पाकिस्तान क्रिकेट टीम के मौजूदा प्रमुख सेठी पहले ही हाइब्रिड मॉडल पर हस्ताक्षर कर चुके हैं और इसे भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी कि बीसीसीआई के सचिव जय शाह की अध्यक्षता वाले एसीसी के कार्यकारी बोर्ड से स्वीकृति मिल चुकी है और इस फैसले को बदला नहीं जा सकता था। यही कारण था कि अशरफ अगर बिना पूर्ण जानकारी से किसी भी प्रकार का समस्या खड़ा करते हैं, तो पीसीबी को कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता था। वही ईएसपीएन क्रिकेट इन्फो के मुताबिक अशरफ के हवाले से कहा गया कि मेरी व्यक्तिगत राय में यह पूरा हाइब्रिड मॉडल पाकिस्तान के लिए फायदेमंद नहीं है और मुझे यह बिल्कुल पसंद नहीं आया है।
पाकिस्तान टीम के लिए 4 मैचों को छोड़ा
आपको बता दें कि अशरफ ने आगे अपने बातचीत को बढ़ाते हुए कहा है कि एक मेजबान होने के नाते पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करने के लिए बेहतर बातचीत करनी चाहिए थी, कि पूरा टूर्नामेंट पाकिस्तान में खेलने जाना चाहिए। लेकिन श्रीलंका ने बड़े मैच के लिए पाकिस्तान टीम के साथ केवल चार मैचों को छोड़ दिया है। यह हमारे देश के हित में बिल्कुल भी नहीं है। आपको बता दें कि इसके बाद अशरफ ने स्वीकार किया कि उन्हें पूरी जानकारी नहीं दी गई थी और उन्होंने पूरी तरह से अब यू-टर्न ले लिया है। अशरफ ने कहा है कि लेकिन मैं देख रहा हूं कि निर्णय लिया जा चुका है, इसलिए हमें इसके साथ जाना ही पड़ेगा। मैं इसे नहीं रोक सकूंगा या इस फैसले का पालन नहीं करने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मैं इस फैसले के बारे में काफी ज्यादा सम्मान करूंगा और इसके अलावा मैं कुछ भी नहीं कर सकता। लेकिन भविष्य में हम जो भी निर्णय लेंगे वह देश के हित में रहेंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा।